संधि किसे कहते है | sandhi kise kahte hai

संधि हिंदी व्याकरण का एक भाग है जिसे हम स्कूल में कक्षा ४ से लेकर १० तक पढ़ते है। इस आर्टिकल में हम जानेगे संधि किसे कहते है (sandhi kise kehte hai) और संधि के प्रकार क्या है। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको संधि से जुडी सारी जानकारी आपको प्राप्त हो जाएगी। तो चलिए शुरू करते है।

संधि किसे कहते है

जब एक शब्द के अंत की ध्वनि और दूसरे शब्द की आरंभिक ध्वनि मिलती है तब वह एक नया रूप ग्रहण करती है इस प्रक्रिया को संधि कहा जाता है। चलिए उदाहरण के द्वारा हम संधि को समझने की कोशिश करते है।

निम्नलिखित शब्दों को ध्यान से पढ़िए-

संधि किसे कहते है
संधि किसे कहते है

ऊपर दिए गए पहले उदाहरण में सत्य और अर्थ के मेल से एक नया शब्द बना – सत्यार्थ। यहाँ सत्य का अंतिम स्वर ‘अ’ और अर्थ का पहला स्वर ‘अ‘ के मिलने से ‘आ’ की ध्वनि बन रही है।

दूसरे उदहारण में महा और ईश मिलकर महेश बना रहे है। यहाँ ‘महा’ का अंतिम स्वर ‘आ’ और ईश का पहला स्वर मिलकर ‘ए’ की ध्वनि बना रहे है।

तीसरे उदाहरण में पर और उपकार मिलकर परोपकार बना रहे है। पर का आखरी स्वर ‘‘ और उपकार का पहला स्वर मिलकर “” की ध्वनि बनाते है।

चौथे और आखरी उदाहरण में सदा + एव मिलकर सदैव बना रहे है क्युकी सदा का आखरी स्वर “” और एव का आखरी स्वर मिलकर “” बना रहे है।

इस प्रकार हमने उदाहरण से समझा की जब भी किसी शब्द का आखरी स्वर और दूसरे शब्द का प्रारंभिक स्वर मिलते है तब वे एक नई ध्वनि बनाते है जिसे संधि कहा जाता है

संधि विच्छेद किसे कहते है

संधि विच्छेद
संधि विच्छेद

ऊपर हमने दो शब्दों को जोड़कर संधि बनाई थी लेकिन यहां उन शब्दों को फिर से अपनी पुरानी अवस्था में रूपांतरित कर दिया गया है। इस प्रकार दो वर्णो अथवा शब्दों को मिलाने पर जो शब्द बनता है उसे फिर से अपनी पुरानी अवस्था में ले आना संधि विच्छेद कहलाता है।

संधि के प्रकार

संधि तीन प्रकार की होती है।

१. स्वर संधि

२. व्यंजन संधि

३. विसर्ग संधि

चलिए सभी संधियों के बारे में चर्चा करते है।

स्वर संधि

दो स्वरों के मेल से होने वाली संधि को स्वर संधि कहा जाता है।

स्वर संधि
स्वर संधि

ऊपर दिए गए उदाहरण में सत्य का अंतिम स्वर ‘‘ और आग्रह का पहला स्वर “” है इस प्रकार दोनों स्वर है और दो स्वरों के मिलने पर स्वर संधि बनती है।

स्वर संधि को निम्नलिखित पाँच भागों में विभाजित किया गया है:

(१) दीर्घ संधि (Deergh Sandhi)

(२) गुण संधि (Gun Sandhi)

(३) वृद्धि संधि (Vridhi Sandhi)

(४) यण संधि (Yan Sandhi)

(५) अयादि संधि (Ayadi Sandhi)

चलिए सभी के बारे में जानकारी प्राप्त करते है।

दीर्घ संधि (Deergh Sandhi)

‘हस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि हस्व या दीर्घ अ, इ,उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई, और ऊ हो जाते हैं ।

उदाहरण :

(अ+ अ = आ) धर्म + अर्थ = धमर्थि ।

(अ+ आ + आ) हिम + आलय = हिमालय ।
(आ+ अ = आ) विद्या + अर्थी = विद्यार्थी ।
(आ+ आ + आ) विद्या + आलय = विद्यालय ।

(इ+ इ = ई) रवि + इंद्र = रवींद्र, मुनि + इंद्र = मुनींद्र ।
(इ+ई = ई) गिरि + ईश = गिरीश, मुनि + ईश = मुनीश ।
(ई + इ = ई) मही + इंद्र = महींद्र, नारी + इंदु = नारींदु ।
(ई+ई = ई) नदी + ईश = नदीश मही + ईश =महीश ।

(उ+उ = ऊ) भानु + उदय = भानूदय,

विधु + उदय = विधूदय ।
(उ+ऊ = ऊ) लघु + ऊर्मि = लघूमिं, सिधु + ऊर्मि= सिंधूमि ।
(ऊ+उ = ऊ) वधू + उत्सव = वधूत्सव, वधू + उल्लेख = वधूल्लेख

गुण संधि (Gun Sandhi)

इसमें अ, आ के आगे इ, ई हो तो ए, उ, ऊ हो तो ओ, तथा हो तो अर्‌ हो जाता है। इसे गुण-संधि कहते हैं ।

उदाहरण

(अ+ इ= ए) नर + इंद्र = नरेंद्र ।
(अ+ई =ए) नर + ईश = नरेश ।
(आ+ इ = ए) महा + इंद्र = महेंद्र ।
(आ+ई =ए) महा + ईश = महेश |

(अ+ई = ओ) ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश |
(आ +उ = ओ) महा + उत्सव = महोत्सव |
(अ+ ऊ = ओ) जल + ऊर्मि = जलोरिं |
(आ + ऊ = ओ) महा + ऊर्मि = महोर्मि |

(अ+ऋ = अर) देव + ऋषि = देवर्षि |

(आ +ऋ = अर) महा + ऋषि = महर्षि |

वृद्धि संधि (Vridhi Sandhi)

अ आ का ए ऐ से मेल होने पर ऐ, अ आ का ओ, औ से मेल होने पर औ हो जाता है। इसे वृद्धि संधि कहते हैं ।

उदाहरण

(अ+ए = ऐ) एक + एक = एकैक |
(अ+ ऐ =) मत + ऐक्य = मतैक्य |
(आ + ए = ऐ) सदा + एव = सदैव |
(आ+ ऐ = ऐ) महा + ऐश्वर्य = महैश्चर्य |

(अ+ ओ = औ) वन + ओषधि = वनौषधि ।
(आ + ओ = औ) महा + औषधि = महौषधि |
(अ+ औ = औ) परम + औषध = परमौषध |
(आ+ औ = औ) महा + औषध = महौषध |

यण संधि (Yan Sandhi)

(क) इ , ई के आगे कोई विजातीय (असमान) स्वर होने पर इ ई क हो जाता है। (ख) उ, ऊ के आगे किसी
विजातीय स्वर के आने पर I ऊ को ‘व्‌’ हो जाता है। (ग) ‘ऋ’ के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर ऋ को ‘र्‌’ होजाता है। इन्हें यण-संधि कहते हैं ।

उदाहरण:

यण संधि उदाहरण
यण संधि उदाहरण

अयादि संधि (Ayadi Sandhi)

ए, ऐ और ओ औ से परे किसी भी स्वर के होने पर क्रमश: अयू, आयु, अव्‌ और आव्‌ हो जाता है। इसे अयादि संधि
कहते हैं ।

उदाहरण :

अयादि संधि उदाहरण
अयादि संधि उदाहरण

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संधि की परिभाषा

संधि के प्रकार

संधि के भेद

Frequently Asked Questions

संधि किसे कहते है ?

जब एक शब्द के अंत की ध्वनि और दूसरे शब्द की आरंभिक ध्वनि मिलती है तब वह एक नया रूप ग्रहण करती है इस प्रक्रिया को संधि कहा जाता है

संधि की परिभाषा क्या है ?

जब एक शब्द के अंत की ध्वनि और दूसरे शब्द की आरंभिक ध्वनि मिलती है तब वह एक नया रूप ग्रहण करती है इस प्रक्रिया को संधि कहा जाता है

संधि की कितने प्रकार है?

संधि के कुल तीन प्रकार है। १. स्वर संधि २. व्यंजन संधि ३. विसर्ग संधि

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